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रात गुजर गई लेकिन सवेरा न था, रास्ता बीत गया लेकिन मंजिल न थी, होगई मुलाकात लेकिन अब वो बात न थी, वो मेरी तो हुई लेकिन शायद बस मेरी न थी!!

सुनो.. ज़रा पूछो तो मांगा कौनसा रत्न हैं इस दिवाली मैने, ताकी पकड़ कर हाथ तुम्हारा तुम्हे तकता रहूं!! ✍️ सौरभ

'वो सोती रही मेरी बाहों में अपनी बिखरी जुल्फें लिए मुझे डर था कही सुबह ना हो जाए उसे देखते-देखते "