Sukoone-ae-Zindgi

सोचा रद्दीवाले से पूछूँ कि...
शिकायतें'' कितने में खरीदेगा??
भण्डार है शिकायतों का...
पुराने रद्दी अखबारों से
कहीं ज्यादा,
दिलों में भरी पड़ी हैं...
आप भी मेरी माने तो...
इन शिकायतों को
आज बेच ही दीजिये,
दीपावली की सफाई सा
चमक उठेगा...
आपके "मन का घर"